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चोरौत में सड़क पर होती है शोक सभा, मुख्य मार्ग के किनारे होता है अंतिम संस्कार


चोरौत | चोरौत-बासुकी रोड से गुजरते समय यदि आपको सड़क किनारे कोई चिता जलती दिखे तो इसे किसी तंत्र क्रिया का हिस्सा न समझें, यह ग्रामीणों की मजबूरी है। जिले में चोरौत एक ऐसा ही प्रखंड हैं जहां जिंदगी का आखिरी सफर भी अव्यवस्थाओं के बीच होता है। प्रखंड में कहीं मुक्तिधाम नहीं है। यहां दिवंगत का अंतिम संस्कार मुख्य सड़क के किनारे करना पड़ता है और ग्रामीण रोड पर बैठकर शोक सभा करते हैं। जिला मुख्यालय से महज करीब 42 किलोमीटर दूर भले ही जिला ओडीएफ, पीएम आवास जैसी योजनाओं की दौड़ में आगे चल रहा हो, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि मुख्यालय से महज करीब 42 किलोमीटर दूर ही चोरौत प्रखंड में अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था नहीं है। करीब 60 हजार से अधिक आबादी वाले इस प्रखंड में वर्षों से ग्रामीण चोरौत-बासुकी, चोरौत-कोकण, चोरौत-पुपरी मार्ग के किनारे अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। प्रखंड में किसी का भी निधन होता है, ग्रामीणों को सड़क किनारे की खाली जमीन का ही सहारा लेना पड़ता है। इस दौरान अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले ग्रामीण सड़क पर खड़े होते हैं और वहीं शोक सभा भी होती है। मार्ग से गुजरने वाले भी इस असामान्य दृश्य को देखकर अचंभित होते हैं, उतने दु:खी भी होते हैं कि दर्जनों योजनाओं के दौर में प्रखंड के ऐसे हालात हैं। इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट नवल मंडल ने कहा कि प्रखंड में मुक्तिधाम हो जाने से गरीबो को इसका सबसे अधिक लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया की इससे पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा और हमारी परंपरा भी समाज में जिन्दा रहेगी।

◆ हर बार होती है चर्चा 

गांव में निधन पर अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों के बीच हर बार इस अव्यवस्था को लेकर चर्चा होती है। खास तौर पर आसपास के क्षेत्र से आने वाले परिचित तो यह अव्यवस्था देख सवाल खड़े कर ही देते हैं। अमूमन हर अंतिम संस्कार में व्यवस्थित मुक्ति धाम होने की मांग उठती है, बावजूद अब तक इसके लिए अधिकारी या जनप्रतिनिधि, किसी ने भी प्रभावी पहल नहीं की है।

◆ फैली रहती है गंदगी

सड़क किनारे जहां अंतिम संस्कार होता है, उस क्षेत्र में गंदगी और कचरा फैला रहता है। यहां सफाई की भी कोई व्यवस्था नहीं रहती है।

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