शमीम अख्तर की सजा से ही मिल सकेगा सीतामढ़ी के निर्भया सिमरन को असली न्याय
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सीतामढ़ी की निर्भया 'सिमरन' |
3 जनवरी 2009 को अमनदीप का स्कुल जाते समय फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया । बाद में अपहर्ताओं ने उसके भाई की हत्या कर शव रेलवे ट्रैक पर फेक दिया था । इस घटना में भी शमीम की सलिप्तता बताई गयी थी । सिमरन की माँ तक पहुचने के लिए शमीम ने इस घटना को अंजाम दिलवाया था । अमनदीप की हत्या के बाद पिता राजीव के मूकबधिर होने का लाभ उठाकर शमीम ने सिमरन की माँ को अपने प्रेम पास में फ़सा लिया। शमीम ने अपने रास्ते के अवरोध को समाप्त करने के लिए राजीव की भी हत्या करा दी।
31 दिसम्बर 2012 को पुलिस ने राजीव के शव को सड़ी गली हालत में पूर्वी चम्पारण सीमा क्षेत्र से बरामद किया था । इसके बाद शमीम ने खुशबु से शादी कर अपने गृह प्रखण्ड पूर्वी चंपारण के ढाका में रहने लगा । कुछ दिन बाद ईलाज का बहाना बनाकर बाहर ले जाकर खुशबु की भी हत्या कर दी गयी । अब सिमरन को शमीम कैद करके घर में रखने लगा और उसे देह व्यापार के लिये बाध्य करने लगा । खुद भी उसके साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाने लगा । गाड़ी चोरी के एक मामले में 24 जनवरी 2015 को ढाका के तत्कालीन थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने जब छापेमारी की तो सिमरन उसके घर में कैद पाई गयी । सिमरन ने पूरी आपबीती पुलिस को बताई । सिमरन के बयान पर ढाका थाना में शमीम, राजू मिया और मो इसरारके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी । इसी एफआआईआर के आलोक में कोर्ट ने बुधवार को सजा सुनाई । इसके बाद सिमरन अपने मामा के घर रहने लगी । लेकिन यहाँ भी उसकी बदनसीबी पीछा नही छोरी।
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मनोज कुमार कर्ण
हिंदुस्तान दैनिक संवाददाता
9430867182
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