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स्थानीय यातायात की मनमानी, प्रशासन बेख़बर

 


यह लोकल ट्रांसपोर्ट सेवा का कोरोनाकाल दृश्य है.

चोरौत से दरभंगा, चोरौत से सीतामढ़ी, चोरौत से मुजफ्फरपुर और बीच-बीच में छोटे-छोटे स्टैंड. बस किराया दुगुना है. 50 का 100 लिया जा रहा, 100 का 200. नियमानुसार सोशल डिस्टेंसिंग के लिए दो सीट पर एक आदमी बैठने का प्रावधान है. असलियत आप तस्वीर में देख ही रहे हैं. कहाँ है नियम-कायदा? सोशल डिस्टेंसिंग नाम की कोई चीज नहीं, दो सीट पर तीन-तीन आदमी. और सवारी से जबरन दुगुना किराया लिया जा रहा. बिना किसी टिकट, किसी रसीद के.

यह हाल सिर्फ एक रूट का नहीं है. प्राइवेट बस सेवाओं का पूरे बिहार में यही रवैया चल रहा. स्थानीय प्रशासन बस मोटरसाइकिल का चालान काट कर सरकारी टारगेट पूरा कर रही है. प्राइवेट कोटे से जेबें गर्म हो रही है. समझ सकते हैं कि कोरोनाकाल में सबकी स्थिति गड़बड़ायी है. फिर तो किराना वाले को भी आलू 50 रुपए, चीनी 100 रुपए और तेल 350 रुपए बेचना चाहिए. फिर तो रेमेडिसिविर 40000-40000 रुपए बेचने वाले भी गलत नहीं थे. क्योंकि यह बिहार है, यहां यही चलता है.

आपकी तरफ भी यही हाल है तो देर मत कीजिए. शेयर कीजिए, स्थानीय प्रशासन, सक्षम अधिकारी को टैग कीजिए. नहीं तो ऐसी व्यवस्था बन रही है, जो जबरन आपके सीने पर बैठकर आपकी थोड़ी-बहुत बची जमापूंजी भी चूस जाएगी.

अमन आकाश

पीएच०डी० (पत्रकारिता)

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