राष्ट्र कवि दिनकर के जयंती पर कला और साहित्य क्षेत्र की स्त्रीशक्ति को सम्मानित किया गया
दिनांक 23 सितम्बर 2018 को विश्व मानव जागरण मंच के तत्त्वावधान में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह "दिनकर" की 110वीं जयंती समारोह का आयोजन जिला मुख्यालय के नेहरू भवन में किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि मैथिल कोकिल पंडित कुंजबिहारी मिश्र, साहित्यकार विवेक कुमार गौतम, संयोजक अमित चौधरी उर्फ माधव चौधरी तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. अतिथियों का स्वागत अमित चौधरी ने पुष्पमाल और शॉल ओढ़ाकर किया. तदुपरांत अतिथिगणों ने देश के पूर्व प्रधानमन्त्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया. कार्यक्रम की अगली कड़ी में स्थानीय विद्यालय की छात्राओं ने द्वारा लयबद्ध स्वागत गान तथा सरस्वती वंदना गाकर आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम में सबसे पहले कला और साहित्य क्षेत्र की स्त्रीशक्ति को सम्मानित किया गया. कामरेड नरेन्द्र सिंह ने सर्वप्रथम राष्ट्रकवि दिनकर को याद कर सबको संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अमित कुमार ने राष्ट्रकवि दिनकर की तरह संघर्ष का मार्ग चुना है और यही मार्ग सर्वश्रेष्ठ है. दिनकर की कालजयी रचना संस्कृति के चार अध्याय का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि मानवजाति कहाँ से कहाँ जा रही है, मानवता का कैसे क्षरण हो रहा है. इस के उत्थान हेतु हमें विश्व मानव जागरण मंच के साथ मिलकर चलना होगा. हमें अब युद्ध की नहीं शांति की ज़रूरत है. पुनः सीतामढ़ी जिला के सक्रिय पत्रकारों को सम्मानित कर कार्यक्रम को गति प्रदान की गयी. सम्मानित पत्रकारसमूह ने मंच से राष्ट्रकवि दिनकर को भारतरत्न देने की तथा जिला मुख्यालय में दिनकर स्मृति भवन बनाने की मांग की.
मुख्य अतिथि पंडित कुंजबिहारी मिश्र ने संबोधित करते हुए कहा यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि दिनकर जी रश्मिरथी की रचना सीतामढ़ी की भूमि पर की. आगे उन्होंने बताया कि साहित्य ही समाज को रास्ता दिखाता है. उन्होंने विद्यापति रचित पिया मोर बालक तथा दिनकर रचित वीर रस की पंक्तियाँ सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. सिया सुकुमारी के बोल ने भी श्रोताओं को अभिभूत किया. संयोजक अमित चौधरी को कुंजबिहारी मिश्र ने अत्यंत ऊर्जावान नेता कहकर संबोधित किया.
दूसरे मुख्य अतिथि दिल्ली से आए साहित्यकार विवेक कुमार गौतम ने कहा दिनकर की रचना में लोककल्याण का भाव हमेशा निहित रहा है. जमीन से उठकर उन्होंने आसमान को छुआ. आगे उन्होंने कहा कि जब-जब अनहोनी की आशंका हुई, माधव ने हमेशा गोवर्धन धारण किया. उसी तरह माधव चौधरी भी दिनकर और श्रीकृष्ण माधव की तरह लोककल्याण का काम कर रहे हैं. संचालक विश्व मानव जागरण मंच के सक्रिय प्रहरी तथा साहित्यजीवी बिट्टू झा विश्वास थे. कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रोता मौजूद थे.
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़.
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है..
- रश्मिरथी
- अमन आकाश, मीडिया स्कॉलर
चोरौत, सीतामढ़ी
कार्यक्रम में सबसे पहले कला और साहित्य क्षेत्र की स्त्रीशक्ति को सम्मानित किया गया. कामरेड नरेन्द्र सिंह ने सर्वप्रथम राष्ट्रकवि दिनकर को याद कर सबको संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अमित कुमार ने राष्ट्रकवि दिनकर की तरह संघर्ष का मार्ग चुना है और यही मार्ग सर्वश्रेष्ठ है. दिनकर की कालजयी रचना संस्कृति के चार अध्याय का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि मानवजाति कहाँ से कहाँ जा रही है, मानवता का कैसे क्षरण हो रहा है. इस के उत्थान हेतु हमें विश्व मानव जागरण मंच के साथ मिलकर चलना होगा. हमें अब युद्ध की नहीं शांति की ज़रूरत है. पुनः सीतामढ़ी जिला के सक्रिय पत्रकारों को सम्मानित कर कार्यक्रम को गति प्रदान की गयी. सम्मानित पत्रकारसमूह ने मंच से राष्ट्रकवि दिनकर को भारतरत्न देने की तथा जिला मुख्यालय में दिनकर स्मृति भवन बनाने की मांग की.
मुख्य अतिथि पंडित कुंजबिहारी मिश्र ने संबोधित करते हुए कहा यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि दिनकर जी रश्मिरथी की रचना सीतामढ़ी की भूमि पर की. आगे उन्होंने बताया कि साहित्य ही समाज को रास्ता दिखाता है. उन्होंने विद्यापति रचित पिया मोर बालक तथा दिनकर रचित वीर रस की पंक्तियाँ सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. सिया सुकुमारी के बोल ने भी श्रोताओं को अभिभूत किया. संयोजक अमित चौधरी को कुंजबिहारी मिश्र ने अत्यंत ऊर्जावान नेता कहकर संबोधित किया.
दूसरे मुख्य अतिथि दिल्ली से आए साहित्यकार विवेक कुमार गौतम ने कहा दिनकर की रचना में लोककल्याण का भाव हमेशा निहित रहा है. जमीन से उठकर उन्होंने आसमान को छुआ. आगे उन्होंने कहा कि जब-जब अनहोनी की आशंका हुई, माधव ने हमेशा गोवर्धन धारण किया. उसी तरह माधव चौधरी भी दिनकर और श्रीकृष्ण माधव की तरह लोककल्याण का काम कर रहे हैं. संचालक विश्व मानव जागरण मंच के सक्रिय प्रहरी तथा साहित्यजीवी बिट्टू झा विश्वास थे. कार्यक्रम में हजारों की तादाद में श्रोता मौजूद थे.
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़.
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है..
- रश्मिरथी
- अमन आकाश, मीडिया स्कॉलर
चोरौत, सीतामढ़ी
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