जातिवाद की उपज अंग्रेजों की है
आजकल सोशल मीडिया पर ब्राह्मणवाद और सामंतवाद ख़ूब फ़ैल रहा है. देश के कई ऐसे लोग हैं, जो जाति के आधार पर एक-दूसरे से घृणा करते हैं. इसका असर आप चुनावों में भी देख सकते हैं. बात 1900 ईस्वी की है, जब अंग्रेज़ों ने भारतीय समाज को अपरकास्ट और लोवर कास्ट में बांट दिया. वे लोगों को जाति के आधार पर तरजीह देने लगे.
सन 1881 में सशक्तिकरण के नाम पर अंग्रेज़ों ने सरकारी नौकरियों में जाति के आधार पर नौकरियां देनी शुरु कर दी. इस वजह से लाभ से वंचित जाति के लोगों पर बुरा असर पड़ा. नेताओं ने उस स्थिति को और भी ख़राब कर दिया. आज़ादी के बाद भी हम लोगों ने उस व्यवस्था को जारी रखा. अब तो राजनीति की शुरुआत ही आरक्षण से होती है.
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